Maharashtra politics News : इस देश के कुछ राज्यों में हिंदी भाषा को लेकर काफी ज्यादा विवाद चल रहा है। महाराष्ट्र भी उनमें से एक हैं, जहां पर हिंदी भाषा को लेकर जमकर हंगामा हो रहा है। विपक्ष ने इस मुद्दे को कसकर पकड़ कर रखा हुआ है और राज्य की बीजेपी सरकार पर हमला बोल रहे हैं। इसमें सबसे आगे उद्धव ठाकरे की शिवसेना है।
उद्धव ठाकरे ने हाल ही में इस मुद्दे को लेकर कहा कि, हमने महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी GR की होली जलाकर अपना विरोध दर्ज किया है। उन्होंने यह भी कहा, हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जबरन थोपे जाने वाली शक्ति के खिलाफ हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि 5 जुलाई को इस विषय पर मुंबई में एक बड़ा आंदोलन होने जा रहा है।
भले ही आज उद्धव ठाकरे हिंदी भाषा का विरोध कर रहे हों लेकिन शिवसेना को बनाने वाले बाला साहेब ठाकरे को हिंदी फिल्मों से बेपनाह मोहब्बत थी। उनके ड्रॉइंग रूम में किशोर कुमार की आवाज गूंजती थी, दिलीप कुमार की अदाकारी की चर्चा होती थी और लता मंगेशकर उनके दिल के बेहद करीब थीं।
हिंदी फिल्मों के लिए उनका प्रेम जगजाहिर था। लेकिन अब ये सवाल उठ रहा है कि क्या केवल राजनीति के लिए उद्धव ठाकरे अपने पिता की सांस्कृतिक विरासत को भूल गए हैं जिसे उन्होंने बड़े गर्व से जिया?
ठाकरे भाई आए साथ में!
हिंदी भाषा विवाद को लेकर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ नजर आ रहे हैं। दोनों ही नेताओं ने महाराष्ट्र सरकार के हिंदी को तीसरी भाषा बनाए जाने के फैसले को लेकर पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन किए जाकर रहे हैं। दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने अपना विरोध जताते हुए GR की कॉपी जलाई है।
वहीं 20 साल बाद 5 जुलाई को विरोध मार्च में दोनों भाई एक बार फिर से साथ नजर आएंगे। शिवसेना के नेता संजय राउत ने इसकी पुष्टि की है। तीन भाषा फॉर्मूल के तहत महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य किए जाने के फैसले के खिलाफ ये मार्च निकाला जाएगा।
महायुती में भी इसको लेकर टकराव!
राज्य की महायुति सरकार भी इस फैसले पर बंटी हुई नजर आ रही है। एनसीपी नेता और डिप्टी सीएम अजित पवार महाराष्ट्र में पहली कक्षा से हिंदी को तीसरी भाषा के तौर पर लागू करने के पक्ष में नहीं हैं। अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी भाषा नहीं पढ़ाई जानी चाहिए। इससे आने वाले समय में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।