Delhi Connaught Place Hidden Truth: भारत की राजधानी दिल्ली की सबसे हैपनिंग जगहों में से एक सीपी (कनॉट प्लेस) की खासियत वहां की इमारतों की बनावट है। इन इमारतों के आर्किटेक्चर और इस जगह के नाम से जुड़ी कहानी काफी दिलचस्प है। सफेद रंग में पुती इमारतों में कई नामी दुकानों चलती हैं, इसमें से कई पुश्तों से चली आ रही हैं और सभी किराए पर हैं। अब सवाल ये है कि आखिर ये किराया जाता किसको है और कनॉट प्लेस की जमीन असल में किसकी जागीर है? आगे जानें दिल्ली की इस फेमस जगह से जुड़े अनसुने और दिलचस्प रहस्य क्या हैं।
Delhi CP का क्या है वो रहस्य?
दिल्ली की खूबसूरत जगह कनॉट प्लेस का इतिहास ब्रिटिश काल से जुड़ा है। इस इलाके को एक ब्रिटिश ने ही तैयार किया था और उस डिजाइनर का नाम रॉबर्ट टोर रसेल था। दिल्ली की ये जगह ब्रिटेन के रॉयल क्रिसेंट मार्केट से प्रेरित है। यही नहीं इसका नाम ब्रिटिश शाही परिवार के सदस्य पर रखा गया है, जिन्हें ड्यूक ऑफ कनॉट प्लेस कहा जाता था।
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किसकी जागीर है Connaught Place?
1929 से लेकर 1933 के बीच बनी ये जगह असल में किसी की जागीर नहीं है। बल्कि CP को भारत सरकार की जमीन पर खड़ा किया गया है। इस इलाके में बनी कई इमारतों का मालिकाना हक निजी हाथों में दे दिया गया था लेकिन कानूनी रूप से यहां पर भारत सरकार का ही हक है। 1947 में भारत की आजादी के बाद, कनॉट प्लेस की ज्यादातर संपत्तियां सरकार के अधिकार में आ गई थीं।
ये दिल्ली की सबसे महंगी मार्केट मानी जाती है और यहां पर मौजूद दुकानों का किराया लोकेशन के मुताबिक अलग-अलग है। फिर भी यहां के दुकानदार दस्तावेजों के हिसाब से करोड़ों में किराया भरते हैं। Delhi CP में हर वीकेंड में इतनी भीड़ होती है कि दुकानों की रौनक 24 घंटों तक बनी रहती है और दुकानदारों की तगड़ी कमाई भी होती है। यहां पर कई ऐसी पुश्तैनी दुकाने हैं जो टूरिस्ट्स के लिए भी खास अट्रैक्शन हैं।