नई दिल्ली: आंख को भगवान ने बेहद खुबसुरत बनाया हैं. वहीं आंखों का रंग किसी भी इंसान के सुंदरता को बढ़ाने में काम आता है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी की आंखों का रंग भूरा या नीला है तो उसकी खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं. आंखों का रंग व्यक्ति के जीन पर भी निर्भर करता है. नीली, भूरी, हरी और अन्य रंग की आंखें दर्शाती हैं कि कैसे आंखों का रंग आनुवंशिकता और रंजकता पर निर्भर करता है। आइए जानते हैं आंखों के बारे में यह रोचक तथ्य.
आपको बता दें कि आंखों की पुतली का रंग निर्धारित करने में मेलेनिन की मात्रा का विशेष महत्व होता है. मेलेनिन हमारी त्वचा और बालों का रंग निर्धारित करने में भी बड़ी भूमिका निभाता है. मेलेनिन एक रंगद्रव्य है जो हर व्यक्ति में विभिन्न रूपों और अनुपातों में मौजूद होता है. अगर मेलेनिन कम हो तो आंखों का रंग नीला हो जाता है.
इसकी अधिकता होने पर आंखों का रंग भूरा और काला हो जाता है. इसके अलावा आंखों का रंग प्रोटीन के घनत्व और आसपास पड़ने वाली पहली रोशनी पर भी निर्भर करता है. इसके अलावा अलग-अलग रंग की आंखों में जीन भी बड़ी भूमिका निभाते हैं. OCA2 और HERC2. ये दोनों क्रोमोसोम 15 में मौजूद होते हैं. इन्हें आंखों के रंग के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है.
OCA2 जीन: यह जीन आंखों के रंग में विशेष भूमिका निभाता है. यह जीन आईरिस में मेलेनिन की मात्रा को नियंत्रित करता है. मेलेनिन एक वर्णक है जो त्वचा, बालों और आंखों का रंग निर्धारित करता है. उच्च मेलेनिन सामग्री के परिणामस्वरूप आंखें गहरे रंग की होती हैं, जैसे भूरा या काला, जबकि कम मेलेनिन के परिणामस्वरूप नीली या हरी आंखें होती हैं.
HERC2 जीन: यह जीन OCA2 जीन की गतिविधि को नियंत्रित करता है और आंखों के रंग में विशेष भूमिका निभाता है. HERC2 जीन के विभिन्न संस्करण (एलील) नीले या भूरे आंखों के रंग के लिए गुणसूत्रों को प्रभावित करते हैं.