October 11, 2024
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वो स्त्री है कुछ भी कर सकती हैं, झारखंड कि रितिका बनी वंदे भारत की पहली महिला लोको पायलट

वो स्त्री है कुछ भी कर सकती हैं, झारखंड कि रितिका बनी वंदे भारत की पहली महिला लोको पायलट

  • WRITTEN BY: Manisha Shukla
  • LAST UPDATED : September 18, 2024, 9:26 pm IST
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नई दिल्ली: आप जब भी सड़क पर निकलते है तो अक्सर आप यह सुनते है कि वो महिला है इसलिए उसे सही से ड्राइव करने नहीं आता। यहां तक की लोग सबसे अधिक एक्सीडेंट का जिम्मेदार महिला को ही माना जाता है। क्या आप ये बात झारखंड की रहने वाली रितिका को कह पाएंगे ? जो आज भारतीय रेलवे में लोको पायलट हैं।

 

रितिका टाटानगर-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस में सहायक लोको पायलट के तौर पर काम करती हैं। यह ट्रेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। प्रधानमंत्री मोदी ने 15 सितंबर को 6 नई वंदे भारत ट्रेनों का उद्घाटन किया। रितिका तिर्की को वंदे भारत जैसी अत्याधुनिक ट्रेन चलाने का मौका मिला है। उन्हें गर्व है कि उन्हें भारतीय रेलवे में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनने का मौका मिला है।

सीनियर अधिकारियों का पूरा सहयोग मिलता है

रितिका अपना अनुभव बताती है कि वो रेलवे में असिस्टेंट लोको पायलट के तौर पर काम करके रितिका बेहद खुश हैं। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने असिस्टेंट लोको पायलट के तौर पर नौकरी शुरू की थी तो उन्हें थोड़ा डर था कि वह ट्रेन चला पाएंगी या नहीं, लेकिन धीरे-धीरे यह डर खत्म हो गया। वह अपनी ड्यूटी से संतुष्ट हैं। उन्होंने आगे बताया कि ट्रेन चलाने से दो घंटे पहले कॉल बुक दी जाती है और ड्यूटी पूरी होने के बाद 16 घंटे का आराम दिया जाता है। उन्होंने बताया कि समय के साथ रेलवे में लोको पायलटों को दी जाने वाली सुविधाएं काफी बढ़ गई हैं। रेलवे महिला लोको पायलटों के लिए अलग से रनिंग रूम की व्यवस्था करता है। उन्हें अपने सभी सीनियर अधिकारियों का पूरा सहयोग मिलता है।

ट्रेन चलाने में बहुत मजा आता है

उन्होंने बताया कि अब उन्हें ट्रेन चलाने में बहुत मजा आता है। रितिका पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ी दोनों चलाती हैं। ट्रेन चलाते हुए उन्हें अलग-अलग शहरों की सैर करना अच्छा लगता है। रितिका ने बताया कि वंदे भारत ट्रेन में कई आधुनिक सुविधाएं हैं। यह ट्रेन दूसरी ट्रेनों से काफी अलग है। इस ट्रेन के हर कोच में सीसीटीवी कैमरे और फायर अलार्म लगे हैं। साथ ही पायलट के पास यात्रियों से बात करने के लिए इमरजेंसी टॉक-बैक की सुविधा भी है। रितिका के मुताबिक वंदे भारत के केबिन में लगा सिस्टम पूरी तरह से ऑटोमेटिक है। इसमें सिग्नल देने के लिए झंडे की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि लाल और हरे बटन दबाकर सिग्नल दिया जा सकता है।

लड़की धाकड़ हैं

रितिका झारखंड की रहने वाली हैं और एक साधारण परिवार से आती हैं। रितिका के परिवार में उनके माता-पिता और उनके चार भाई-बहन हैं। रितिका ने अपनी स्कूली शिक्षा रांची से पूरी की। उन्होंने रांची के बीआईटी मेसरा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया। रितिका ने वर्ष 2019 में भारतीय रेलवे में सहायक लोको पायलट के रूप में काम करना शुरू किया। उनकी पहली पोस्टिंग धनबाद डिवीजन के तहत चंद्रपुरा, बोकारो में हुई थी। वर्ष 2021 में रितिका का तबादला टाटानगर में हो गया। वर्ष 2024 में उन्हें वरिष्ठ सहायक लोको पायलट के पद पर पदोन्नत किया गया।

 

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