आज राधाष्टमी पर ऐसे करें राधारानी को प्रसन्न, जानिए पूजा का पूरा विधि-विधान

नई दिल्ली: आज 11 सितंबर 2024 को राधाष्टमी मनाई जा रही है। यह त्योहार विशेष रूप से श्रीकृष्ण की परम प्रिय राधारानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। राधाष्टमी भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है, और इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। राधारानी को प्रेम […]

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आज राधाष्टमी पर ऐसे करें राधारानी को प्रसन्न, जानिए पूजा का पूरा विधि-विधान

Shweta Rajput

  • September 11, 2024 7:53 am Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: आज 11 सितंबर 2024 को राधाष्टमी मनाई जा रही है। यह त्योहार विशेष रूप से श्रीकृष्ण की परम प्रिय राधारानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। राधाष्टमी भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है, और इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। राधारानी को प्रेम और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस पावन दिन पर अगर श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजा की जाए, तो राधारानी शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं। आइए जानें इस दिन की पूजा विधि और इससे जुड़ी खास बातें।

राधाष्टमी पर पूजा विधि

1. स्नान और संकल्प: सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। शुद्ध वस्त्र धारण करें और राधारानी की पूजा का संकल्प लें। पूजन स्थल को गंगाजल से पवित्र करें और पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा आरंभ करें।

2. राधारानी की प्रतिमा या चित्र: पूजन स्थल पर राधारानी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। मूर्ति को गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं। फिर सुंदर वस्त्र और आभूषण से राधारानी को सजाएं।

3. पूजन सामग्री: पूजा में फूल, अक्षत, रोली, चंदन, धूप, दीप, फल, मिठाई, तुलसी के पत्ते, और भोग के रूप में माखन-मिश्री का प्रयोग करें। विशेष रूप से गुलाब के फूल राधारानी को अर्पित करें, क्योंकि उन्हें गुलाब के फूल प्रिय हैं।

4. मंत्रोच्चार और ध्यान: राधारानी के ध्यान में “ॐ राधायै नमः” मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का 108 बार जाप करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है। भगवान कृष्ण और राधारानी के विवाह की कथा सुनें और उनका गुणगान करें।

5. आरती और भोग: पूजन के बाद राधारानी की आरती करें। आरती के बाद माखन-मिश्री का भोग लगाएं और अंत में प्रसाद बांटें। यह भी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।

6. कथाएं और कीर्तन: राधाष्टमी के दिन राधा-कृष्ण के प्रेम की कथाएं सुनना और कीर्तन करना अत्यंत लाभकारी होता है। भक्तों को इस दिन ब्रज की लीलाओं का पाठ करना चाहिए, जिससे राधारानी का आशीर्वाद प्राप्त हो।

राधाष्टमी का महत्व

राधारानी का जन्म बरसाना में हुआ था, और उनकी महिमा श्रीकृष्ण के प्रेम के बिना अधूरी है। राधा केवल कृष्ण की प्रेमिका ही नहीं, बल्कि उनकी शक्ति और भक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं। राधाष्टमी के दिन उनकी पूजा करने से जीवन में प्रेम, समर्पण और भक्ति की वृद्धि होती है। साथ ही इस दिन व्रत करने से सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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