November 10, 2024
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आज है शरद पूर्णिमा, जानिए इसका महत्व-शुभ मुहूर्त और क्या है  श्रीकृष्ण का इससे रहस्यमयी संबंध

आज है शरद पूर्णिमा, जानिए इसका महत्व-शुभ मुहूर्त और क्या है श्रीकृष्ण का इससे रहस्यमयी संबंध

  • WRITTEN BY: Shweta Rajput
  • LAST UPDATED : October 16, 2024, 8:27 am IST
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नई दिल्ली:  शरद पूर्णिमा, जिसे ‘कोजागर पूर्णिमा’ भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह पर्व हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूरी चमक के साथ आता है, और इसे स्वास्थ्य, समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की रोशनी में खास औषधीय गुण होते हैं, जो इसे विशेष बनाते हैं। इस दिन लोग चंद्रमा की पूजा करते हैं और विशेष रूप से ‘खीर’ का सेवन करते हैं।

 

शरद पूर्णिमा का महत्व

 

इस दिन को लेकर मान्यता है कि चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं, जो मनुष्य के स्वास्थ्य को सुधारते हैं। लोग इस रात विशेष रूप से खीर बनाते हैं और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे खीर में अमृत का प्रभाव होता है, जिसे बाद में परिवार के सदस्यों के साथ बांटा जाता है। शरद पूर्णिमा का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह प्रेम, भक्ति और एकता का संदेश देता है, जो सभी के जीवन में खुशी और समृद्धि लाने की प्रेरणा देता है।

 

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श्रीकृष्ण का संबंध

 

शरद पूर्णिमा का श्रीकृष्ण से भी गहरा संबंध है। मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधा के साथ रास लीला की थी। यह लीला चंद्रमा की रोशनी में हुई थी, जो इस रात को विशेष बनाती है। श्रीकृष्ण की रास लीला न केवल प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह एक दिव्य घटना भी मानी जाती है। कथा के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रास किया, तो चंद्रमा भी उनकी सुंदरता को देखकर शर्माया। चंद्रमा की रोशनी में गोपियों के साथ श्रीकृष्ण का नृत्य आज भी भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। इस दिन को श्रद्धा और प्रेम के साथ मनाने से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

 

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शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

 

पंचांग के मुताबिक शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की तिथि यानी बुधवार को रात 08 बजकर 41 मिनट पर शुरू हो रही है। गुरुवार को अगले दिन 17 अक्टूबर शाम 04 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। 16 अक्टूबर को ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। शाम 5 बजकर 5 मिनट पर शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय होगा। शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा करने के लिए रात 11 बजकर 42 मिनट से शुभ समय शुरू होगा और रात 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त पर पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी।

 

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