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मकर संक्रांति आज, जानिए इस दिन का विशेष महत्व, स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। मकर संक्रांति सामान्यत: 14 जनवरी को मनाई जाती है, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

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Makar Sankranti
  • January 14, 2025 8:37 am Asia/KolkataIST, Updated 4 weeks ago

नई दिल्ली: मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह हर साल सामान्यत: 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन से खरमास खत्म हो जाता है और शुभ व मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त?

मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे उत्तरायण का आरंभ माना जाता है। उत्तरायण को शुभ समय के रूप में देखा जाता है। यह समय आत्मा और शरीर की शुद्धि के लिए विशेष होता है। इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया दान, जप और तप हजार गुना फलदायी होता है। इस दिन साधक अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान भी कर सकते हैं, जिससे पितृ तृप्ति और उनकी कृपा मिलती है

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त

इस साल मकर संक्रांति का पावन पर्व आज यानी 14 जनवरी को मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति के अवसर पर सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति का पुण्य काल इस वर्ष सुबह 09:03 बजे से आरंभ होगा और सायं 05:46 बजे तक रहेगा। महापुण्य काल सुबह 09:03 बजे से 10:48 बजे तक रहेगा। इस समय में स्नान, दान और पूजा करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।

स्नान और दान का महत्व

मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। अगर गंगा स्नान संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इस दिन तिल, गुड़, कंबल, गर्म कपड़े, अन्न और धन का दान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

पूजाविधि

1. प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. यदि व्रत रखना चाहते हैं तो इस दिन सुबह व्रत का संकल्प लें।
3. सूर्य देव को जल अर्पित करें। जल में लाल फूल, तिल और गुड़ मिलाएं।
4. सूर्य मंत्र का जाप करें: “ॐ सूर्याय नमः” और “ॐ ह्रीं ह्रां सूर्याय नमः।”
5. तिल-गुड़ के लड्डू, खिचड़ी और मौसमी फलों का भोग लगाएं।
6. गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
7. पीले वस्त्र पहनें और फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
8. सूर्य चालीसा पढ़ना शुभ होता है, साथ में आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ भी जरूर करें।

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