नई दिल्ली: इंदिरा एकादशी 2024 में 28 सितंबर शनिवार को मनाई जाएगी। अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत होता है। यह एकादशी पितृपक्ष के दौरान आती है, जो कि पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने और पूजा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
पंचांग के अनुसार, इंदिरा एकादशी के व्रत की तिथि की शुरुआत 27 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 20 मिनट पर आरंभ होगी और 28 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। 29 सितंबर को सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 08 बजकर 36 मिनट तक व्रत का पारण करने का शुभ मुहूर्त है।
1. स्नान एवं संकल्प: प्रातःकाल जल्दी उठकर पवित्र नदी या किसी जलाशय में स्नान करें। अगर संभव न हो, तो घर पर ही शुद्ध जल से स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
2. पूजा सामग्री: पूजा के लिए गंगाजल, तुलसी के पत्ते, धूप, दीप, चंदन, फूल, पंचामृत, नारियल, सुपारी, फल आदि का उपयोग करें। विष्णु भगवान की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और उन्हें स्नान कराएं।
3. भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु को फूल, चंदन और तुलसी के पत्ते अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। भगवान विष्णु की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
4. पितरों का स्मरण: पूजा के बाद पितरों का ध्यान करें और उनके लिए तर्पण करें। पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए प्रार्थना करें।
5. रात्रि जागरण: इस दिन रात्रि जागरण करने का विशेष महत्व है। विष्णु भगवान की कथा और भजन-कीर्तन करें।
6. अन्न-जल का त्याग: इंदिरा एकादशी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। फलाहार कर सकते हैं, लेकिन जल या दूध का सेवन सीमित रखें। अगले दिन 29 सितंबर को यानी द्वादशी के दिन व्रत का पारण करें।
यह व्रत करने से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि व्रतधारी को भी भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। ऐसा माना जाता है कि इंदिरा एकादशी का व्रत करने से पिछले जन्मों के पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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