नई दिल्ली: देश में आज जितिया व्रत बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह व्रत संतान की दीर्घायु, सुखी और निरोगी जीवन की कामना के लिए रखा जाता है। जितिया व्रत हर वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही रखा जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व और पूजा से लेकर पारण का शुभ मुहूर्त।
प्रदोष काल मुहूर्त को जितिया व्रत के लिए शुभ माना जाता है। भक्तों को इस मुहूर्त के दौरान जितिया की कथा भी जरूर सुनाई जाती है। जितिया व्रत के दौरान एक दिन पूर्व मिथिला में मछली और मड़ुआ की रोटी खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। सनातन संस्कृति में इस व्रत को संतान की लंबी आयु और उसके बेहतर स्वास्थ्य की कामना के लिए रखा जाता है। जितिया व्रत में बिहार और उत्तर प्रदेश में माताएं पूरी एक तिथि निर्जला उपवास रखकर सच्ची श्रद्धा से जीमूतवाहन की आराधना करती है।
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बता दें कि जितिया व्रत की शुरूआत एक बहुत ही खास और अनोखी परंपरा से होती है। यह इस व्रत से एक दिन पहले निभाई जाती है। महिलाओं ने परंपरागत मान्यताओं के अनुसार इस निर्जला व्रत को शुरू करने से पहले सोमवार को मड़ुआ की रोटी और मछली का सेवन किया। ऐसा माना जाता है कि संतान की आयु में उतनी बढ़ोतरी होती है, आज के दिन जो जितना हर व्रती को माछ-मड़ुआ बांटता है।
छठ की तरह ही इस व्रत को भी तीन दिन तक मनाया जाता है। जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका का व्रत भी कहा जाता है। व्रत की शुरूआत के सूर्योदय से लेकर नवमी के सूर्योदय तक कुछ भी ग्रहण नहीं करती हैं। जितिया व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त बिहार में शाम 04 बजकर 43 मिनट से शाम 06 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। दिल्ली में शाम 04 बजकर 43 मिनट से शाम 06 बजकर 13 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। शाम 04 बजकर 43 मिनट से शाम 06 बजकर 13 मिनट तक गोरखपुर में पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। इसके अलावा लखनऊ में शाम 04 बजकर 43 मिनट से शाम 06 बजकर 13 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।
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पूजा विधि और पारण का समय
मंगलवार को यानी आज के दिन व्रती स्नान कर नव वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। पूजा करने के लिए कुश से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें। जितिया व्रत में कुछ जगह पर मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाने की परंपरा है। इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है। इसके बाद जब पूजा समाप्त हो जाती है तो जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है। पारण के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा देने की भी परंपरा रही है। जितिया व्रत में अष्टमी का प्रवेश 24 सितंबर मंगलवार को संध्या 6:07 से होगा और यह बुधवार 25 सितंबर शाम 5:05 मिनट तक अष्टमी रहेगा। उसके बाद महिलाएं व्रत का पारण कर सकती हैं।
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