नई दिल्ली: परिवर्तिनी एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। यह एकादशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है, जिसे वामन एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हुए करवट बदलते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत करने से भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से इस दिन भगवान वामन की पूजा करना अत्यधिक फलदायी माना गया है। इस साल शनिवार 13 सितंबर को रात 10 बजकर 30 मिनट पर परिवर्तिनी एकादशी शुरू होगी। इस तिथि का समापन रविवार 14 सितंबर को रात 08 बजकर 41 मिनट पर होगा
1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय: इस मंत्र का जाप भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका माना जाता है। यह मंत्र व्यक्ति के जीवन से दुखों का नाश करता है और उसे मानसिक शांति प्रदान करता है।
2. ॐ विष्णवे नमः यह मंत्र भगवान विष्णु की आराधना के लिए बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। इस मंत्र का नियमित जाप व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्त करता है और उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण करता है।
3. ॐ वामनाय नमः यह मंत्र भगवान वामन को समर्पित है, जो विष्णु के पांचवें अवतार माने जाते हैं। इस मंत्र का जाप विशेष रूप से परिवर्तिनी एकादशी के दिन बहुत ही लाभकारी होता है। इससे धन, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।
परिवर्तिनी एकादशी के दिन व्रत रखने वाले भक्तों को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए और भगवान विष्णु के समक्ष दीपक जलाकर पूजा करनी चाहिए। इस दिन निराहार व्रत रखने का महत्व है, लेकिन यदि स्वास्थ्य ठीक न हो तो फलाहार किया जा सकता है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
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