मुंबई: आज यानि 13 सितंबर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई क्राइम थ्रिलर फिल्म ‘सेक्टर 36’ में कई सारे रहस्य देखने को मिलेंगे। बता दें, यह फिल्म एक रियल इंसिडेंट पर बेस्ड है, जो ह्यूमन साइकोलॉजी के पहलुओं को भी दर्शाता है। इस फिल्म में आपको विक्रांत मेसी का एक अलग ही रूप देखने को मिलेगा। इसके साथ ही सीरियल किलर को देख कर आप भी दंग रह जाएंगे।
बता दें, फिल्म की कहानी एक नाले से जले हुए हाथ की बरामदगी से शुरू होती है, जिसके बाद घटनाओं का सिलसिला तेज़ी से आगे बढ़ता है। इंस्पेक्टर पांडे
यानी दीपक डोबरियाल अपने दो जूनियर अधिकारियों के साथ घटनास्थल पर पहुंचते हैं और मानते हैं कि यह एक बंदर का हाथ है। हालांकि, फिल्म की असली कहानी तब सामने आती है जब एक बच्ची के केस में गायब बच्चों का रहस्य खुलने लगता है।
दीपक डोबरियाल का किरदार राम चरण पांडे, पुलिस डिपार्टमेंट का एक ईमानदार अधिकारी है, जो सिस्टम में एडजस्ट कर चुका है। वहीं जब उसकी अपनी बेटी एक घटना का शिकार होती है, तो उसके भीतर का साहस जाग उठता है। पांडे फिल्म की शुरुआत में न्यूटन के ‘एक्शन-रिएक्शन’ सिद्धांत की बात करता है और यही सिद्धांत उसकी कार्रवाई के पीछे प्रेरणा बनता है।
फिल्म का दूसरा अहम किरदार प्रेम है, जिसे विक्रांत मैसी ने निभाया है। प्रेम का किरदार बेहद क्रूर है, जो अपने अपराधों से राक्षस बन गया है, लेकिन अपने परिवार के लिए वह एक साधारण और बेहद ही नरम स्वभाव का व्यक्ति है। विक्रांत मैसी ने इस किरदार को इतने बखूबी से निभाया है कि उनकी परफॉर्मेंस से देख सभी के होश उड़ जाएंगे। विक्रांत की एक्टिंग उनकी अब तक की सबसे बेहतरीन परफॉरमेंस मानी जा रही है।
सेक्टर 36 का फर्स्ट हाफ थोड़ा कमजोर है, जहां पुलिस जांच की बारीकियों को गहराई से नहीं दिखाया गया है। फिल्म की कहानी 2006 के निठारी कांड पर आधारित होने के बावजूद, फिल्म में कई जगहों पर सस्पेंस और विवरण की कमी महसूस होती है। डीसीपी का ट्रांसफर, प्रेम का पकड़ा जाना और कन्फेशन जैसी चीज़े काफी आसान तरीके से हो जाती है। हालांकि, फिल्म का सेकंड हाफ काफी इंटेंस है, जहां अपराध के पीछे छिपी सामाजिक और व्यक्तिगत सोच की कमियों को उजागर किया गया है। कुल मिलाकर, सेक्टर 36 एक इमोशनल और इंटेंस थ्रिलर है, जो अपनी कुछ कमियों के बावजूद देखने लायक है।
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