नई दिल्ली. हाल ही में सिनेमाघरों में आदित्य दत्त के निर्देशन में बनी फिल्म कमांडो 3 रिलीज हुई है. फिल्म में विद्युत जामवाल का एक्शन और देशभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई पड़ी है लेकिन इस फिल्म का एक सीन भारतीय पहलवानों के चरित्र पर दाग लगा गया है. इस सीन को लेकर गोल्ड मेडलिस्ट भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया काफी गुस्सा हैं और उन्होंने फिल्म में पहवलवानों के इस सीन से नराजगी जताई है.
कमांडो 3 में फिल्म में पहलवानों के इस सीन को लेकर बजरंग पूनिया ने अपने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया वयक्त की है. बजरंग पूनिया ने ट्विटर पर लिखा- मैं डायरेक्टर आदित्य दत्त की फिल्म कमांडो-3 के ट्रेलर में पहलवानों की गलत छवि दिखाएं जाने की निंदा करता हूँ.
आप ने अखाड़े को गुंडों का अड्डा और पहलवानों को एक अपराधी के रूप में पेश किया है. अखाड़ा एक पवित्र स्थान है और पहलवान बजरंगबली के भक्त होते हैं आप इस गलती में सुधार करें.
मैं डायरेक्टर आदित्य दत्त के फिल्म कमांडो-3 के ट्रैलर में पहलवानों की गलत छवी दिखाएं जाने की निंदा करता हूँ। आप ने अखाड़े को गुंडों का अड्डा और पहलवानों को कृमीनलो के रूप में पेश किया है। अखाड़ा एक पवित्र स्थान और पहलवान बजरंगबली के भक्त होते हैं।आप इस गलती मे सुधार करे।#commando pic.twitter.com/25DVugrTCG
— Bajrang Punia ?? (@BajrangPunia) November 30, 2019
फिल्म कमांडो 3 में ये था सीन
कमांडो 3 की शुरुआत में ही एक स्कूल का छात्रा का वीडियो वायरल होता हुआ दिखता है जिसमें वह कह रही है कि हम आरके पुरम दिल्ली स्कूल में पढ़ते हैं. वहीं मौजूद सम्राट आखाड़ा है और उस अखाड़े के पहलवान हमारी ड्रेसिंग को लेकर कमेंट करते हैं और उन्हें खीचतें हैं. छात्रा का यह वीडियो अखाड़ा का एक पहलवान अपने फोन में देखता है और जिस लड़की ने यह वीडियो बनाया था वह उसके सामने से जा रही होती है.
पहलवान अखाड़े से निकलकर उस लड़की के पास जाता है और कहता है हमारा वीडियो वायरल करेगी तू कहते हुए कमेंट करता है. इसके बाद वह उसकी ड्रेस को खींचता है और वहां मौजूद लोग खड़े होकर तमाशा होते देख रहे होते हैं. इसी बीच विद्युत जामवाल की एंट्री होती है और फिर वह सभी पहलवानों से फाइट करता है. इसके बाद विद्युत जामवाल कहते हैं कि अखाड़े कि इज्जत करता हैं अगर इसे बना नहीं सको तो बिगाड़ो मत.
आखाड़ा पहलवानों के लिए है एक मंदिर
कहते हैं कि एक पहलवान बनने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. एक पहलवान बनने के पीछे काफी संघर्ष भरी कहानी होती है, पहलवान बनने के लिए सबसे पहले नींद का त्याग करना पड़ता है. क्योंकि पहलवानों को सुबह-सुबह मेहनत करनी पड़ती है और इसलिए वह जल्दी उठते हैं. पहलवानों के लिए आखाड़ा मंदिर से भी बड़ा होता है क्योंकि पहलवानों की यह कृमभूमि उनके आगे के भविष्य को तय करती है. कहा ये भी जाता है कि जो पहलवान लंगोट का कच्चा होता है वह कभी भी पहलवान नहीं बन सकता है.
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