दिल्ली चुनाव में कांग्रेस ग्राउंड पर नहीं दिख रही। सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के गायब होने के पोस्टर लग रहे हैं कि आखिर कैसे वो दिल्ली में आम आदमी पार्टी को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस के बड़े चेहरे चुनाव प्रचार क्यों नहीं कर रहे हैं?
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर राजधानी में सियासी तपिश बढ़ी हुई है। अरविंद केजरीवाल अपनी पूरी फ़ौज के साथ चुनावी मैदान में ताबड़तोड़ प्रचार कर रहे हैं तो वहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी दंगल में शामिल हो गए हैं। असदुद्दीन ओवैसी की रैलियां भी शुरू हो चुकी है लेकिन कांग्रेस के बड़े नेता चुनाव प्रचार से गायब हैं.
दिल्ली चुनाव में कांग्रेस ग्राउंड पर नहीं दिख रही। सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के गायब होने के पोस्टर लग रहे हैं कि आखिर कैसे वो दिल्ली में आम आदमी पार्टी को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल कांग्रेस ने शुरुआत में अपने तेवर आक्रामक दिखाए थे। आप के नेताओं के खिलाफ मजबूत कैंडिडेट को उतारा था लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि कांग्रेस के बड़े चेहरे चुनाव प्रचार क्यों नहीं कर रहे हैं?
कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे राहुल गांधी ने मिशन दिल्ली का आगाज मुस्लिम बहुल क्षेत्र सीलमपुर से किया था। राहुल ने सीलमपुर में केजरीवाल के खिलाफ हमला बोला था। एक्स पर गंदी सड़कें और नालियों की तस्वीरें शेयर की। इसके बाद उन्होंने तीन दिन लगातार रैली करने की रणनीति बनाई लेकिन अचानक उनकी रैलियां रद्द हो गई।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 22 जनवरी को नई दिल्ली और 23 को मुस्तफाबाद में होने वाली रैली इसलिए रद्द कर दी गई क्योंकि राहुल की तबीयत सही नहीं है। वो बीमार चल रहे हैं और डॉक्टर ने उन्हें आराम करने को कहा है। राहुल आज मादीपुर विधानसभा क्षेत्र में रैली करने वाले थे लेकिन लग रहा है कि वो भी नहीं हो पायेगी। राहुल के गायब होने से पार्टी कार्यकर्ताओं का जोश ठंडा पड़ता दिख रहा है। कांग्रेस के ढीले चुनाव प्रचार से आम आदमी पार्टी को सीधा फायदा पहुंचेगा।
राहुल की ख़राब तबीयत कांग्रेस पर भारी पड़ सकती है। पिछले दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दिल्ली में अपना खाता भी नहीं खोल पाई. कांग्रेस इस बार भी अगर जीरो पर अटकी रही तो पार्टी का भविष्य और अंधकारमय हो जायेगा। आप ही वह पार्टी है, जिसके आने से कांग्रेस को दिल्ली में इतना बड़ा नुकसान हुआ। कभी दिल्ली में 47 फीसदी वोट पाने वाली कांग्रेस अब चार फीसदी पर आकर अटक गई है। अब देखना ये होगा कि आगे कांग्रेस क्या रणनीति अपनाती है।