नितेश राणे फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के समर्थकों को उनके क्षेत्रों के लिए कोई विकास निधि नहीं मिलेगी।
नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और बीजेपी नेता नितेश राणे एक बार फिर अपने बयान को लेकर चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने हाल ही में यह कहा कि शिवसेना (यूबीटी) और अन्य विपक्षी दलों के समर्थकों को उनके क्षेत्रों के विकास के लिए कोई भी निधि नहीं मिलेगी। यह टिप्पणी उन्होंने सिंधुदुर्ग जिले के ओरोस में बीजेपी कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान की।
“अगर महा विकास आघाड़ी (MVA) के कार्यकर्ता अपने क्षेत्रों में विकास चाहते हैं, तो उन्हें बीजेपी में शामिल होना होगा।” उन्होंने आगे कहा, “MVA के कई कार्यकर्ता पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, और मैं उन सभी को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करता हूं जो अभी तक शामिल नहीं हुए हैं। केवल महायुति के कार्यकर्ताओं को ही कोष मिलेगा। अगर किसी गांव में MVA से जुड़ा हुआ सरपंच या अन्य पदाधिकारी है, तो उसे एक भी रुपया नहीं मिलेगा।” मंत्री ने यह भी कहा कि वह अपने विचारों को स्पष्ट और सीधे तरीके से रखना पसंद करते हैं।
नितेश राणे ने बीजेपी कार्यकर्ताओं से यह भी कहा कि वे अपनी पार्टी के प्रति वफादार रहें और विपक्षी दलों की मदद न करें। उन्होंने यह कहा, “किसी भी स्थिति में विपक्षी उम्मीदवारों की मदद नहीं करनी चाहिए।” राज्य में बीजेपी के विस्तार अभियान पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “हमारे पास एक करोड़ से अधिक सदस्य हैं और आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी बनाना चाहिए। हर गांव में संगठन को मजबूत करें और पार्टी के विस्तार के लिए काम करें।”
राणे ने यह भी कहा, “हमारा लक्ष्य बीजेपी उम्मीदवारों की 100 प्रतिशत जीत है। भले ही महायुति के भीतर कुछ प्रतिस्पर्धा हो, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि अंत में चुने गए प्रतिनिधि हमारे गठबंधन से होंगे। अगर कोई विपक्षी उम्मीदवार जीतता है, तो हम उसे भी बीजेपी में शामिल करेंगे।”
नितेश राणे के इस बयान पर विपक्षी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। एनसीपी के विधायक रोहित पवार ने उनके बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा, “क्या मंत्री ने अपने पद की शपथ को ठीक से पढ़ा नहीं या फिर भूल गए हैं? अगर मंत्री इस तरह से संविधान को नुकसान पहुंचाएंगे, तो संविधान की रक्षा कैसे होगी?” शिवसेना (यूबीटी) की नेता सुषमा अंधारे ने भी इस पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी को इस तरह के बयानों पर कुछ बोलना चाहिए, खासकर जब वे भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाने की बात करते हैं।
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