फडणवीस और शिंदे के बीच बढ़ते टकराव के बीच अब महाराष्ट्र में इस चर्चा ने फिर से जोर पकड़ लिया है कि क्या राज्य में फिर से कोई तोड़-फोड़ होने वाली है? विपक्षी दलों ने दावा किया है कि भाजपा को शिंदे गुट वाली शिवसेना की जरूरत नहीं है। अब बीजेपी किसी भी तरह से शिंदे की....
मुंबई/नई दिल्ली। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। आए दिन दोनों नेताओं के बीच खटपट की खबरें आ रही हैं। इस बीच शिवसेना के दूसरे गुट यानी उद्धव ठाकरे की पार्टी भी सक्रिय हो गई है। शनिवार-1 मार्च को उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी के सभी सांसदों की बैठक बुलाई। इस दौरान मातोश्री में शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं की लंबी मीटिंग हुई। इस बैठक के बाद चर्चा तेज है कि क्या अब महाराष्ट्र में फिर से कोई बड़ा फेरबदल होने वाला है?
इस बीच सीएम फडणवीस ने शिंदे के मुख्यमंत्री रहते हुए लिए गए एक फैसले को पलट दिया है। बता दें कि एकनाथ शिंदे सरकार के दौरान स्वास्थ्य मंत्री रहे तानाजी सावंत ने एक कंपनी को 3,200 करोड़ रुपये का मैकेनिकल सफाई का ठेका दिया था। सीएम फडणवीस ने इस ठेके को स्थगित कर दिया है। तानाजी सावंत पर आरोप है कि उन्होंने बिना किसी कार्य अनुभव के कंपनी को इतना बड़ा ठेका दे दिया था।
इससे पहले डिप्टी सीएम शिंदे ने एक बड़ा फैसला ले लिया था, जिसकी चर्चा महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक हुई। दरअसल शिंदे ने मुख्यमंत्री रिलीफ फंड के जैसा एक मेडिकल सेल बना दिया। शिंदे के इस कदम पर विपक्ष ने सवाल खड़े कर दिए। शिवसेना (UBT) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में समानांतर सरकार चल रही है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो फिर महाराष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता काफी ज्यादा बढ़ जाएगी।
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