लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले से दिल दहला देने मामला सामने निकल कर आया है। बता दें, यहाँ के डॉक्टरों और पुलिस प्रशासन की बेरुखी का मामला सामने आया है, जिसे सुन कर आप यह सोचने पर मजबूर हो जाएँगे कि अगर जाएँ तो कहाँ जाएँ ? आख़िर किससे न्याय माँगें और किससे मदद की उम्मीद करें। 11 साल की मासूम दुष्कर्म पीड़िता अपने बुजुर्ग रिश्तेदारों के साथ इलाज के लिए भटकती रही, लेकिन न तो सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने और न ही पुलिस ने उसकी मदद की।
मिली जानकारी के मुताबिक मामला विशुनगढ़ थाना क्षेत्र का है। एक बुजुर्ग ने अपनी 11 वर्षीय पोती को लेकर थाने में रिपोर्ट दी कि गाँव के ही एक व्यक्ति ने सरसों के खेत में बच्ची के साथ जबरन दुष्कर्म किया है।जब लड़की चिल्लाने लगी, तभी आसपास के लोग घटनास्थल पर आ गए। उधर, मौका पाकर अधेड़ आरोपित वहाँ से भाग गया। दुष्कर्म के बाद बच्ची खून से लथपथ पड़ी थी।
दूसरी ओर, जब पीड़ित लड़की के परिजनों ने वरिष्ठ अधिकारियों को इस तथ्य की सूचना दी, तो पुलिस ने तुरंत मामले का संज्ञान लेते हुए आरोपी के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी और उसे गिरफ्तार कर लिया। आरोपित को जेल भेज दिया गया। लेकिन इन सबके बीच आरोपी की हैवानियत से घायल बच्ची इलाज के लिए दर-ब-दर भटकती रही। खैर, जब पुलिस को इसकी जानकारी हुई तो उस बच्ची को चिबरामऊ क्षेत्र के अस्पताल में मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा गया। लेकिन बदनसीब लड़की और उसका पूरा परिवार भी इधर-उधर भटकता रहा। लड़की को कोई इलाज नहीं मिला और न ही उसकी मेडिकल जाँच हो पाई।
इसके बाद बच्ची को कन्नौज जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। वहाँ भी 20-25 घंटे तक बच्ची व उसके परिजन इलाज की तलाश में भटकते रहे। पुलिस ने भी हाथ खड़े कर दिए और वह भी थाने वापस लौट गई। क्योंकि मौके पर कोई डॉक्टर नहीं था। पीड़िता के परिजनों ने कहा कि पुलिस ने लड़की को थाने पर छोड़ने को कहा. लेकिन परिजनों के मुताबिक वे उसे थाने पर कैसे छोड़ सकते थे? बच्ची बहुत छोटी है और रोने लगती है। उधर, बच्ची के परिजन जिला अस्पताल के डॉक्टरों के इंतजार में भूखे प्यासे बैठी रहे। वहीं, मामले के अधिकारियों ने चुटीली प्रतिक्रिया दी है कि इलाज के लिए डॉक्टर चौबीसों घंटे उपलब्ध हैं। तो फिर 24 घंटे बीत जाने के बाद भी मासूम बच्ची का इलाज क्यों नहीं हो सका?