नई दिल्ली, अमेरिकी डॉलर में आ रही रिकॉर्ड वृद्धि के कारण दुनिया भर की करेंसी बिखरते जा रही हैं. भारतीय करेंसी की हालत तुलनात्मक रूप से बेहतर है, लेकिन इसके बाद भी रूपया लगातार गिरते ही जा रहा है. इसी सप्ताह डॉलर के मुकाबले रूपया पहली बार 80 के भी पार निकल गया है और सिर्फ इस साल रूपया डॉलर के मुकाबले 7 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो चुका है. ऐसे में रिजर्व बैंक ने रुपये को बचाने के लिए ख़ास तैयारी कर ली है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रुपये को तेज गिरावट से बचाने के लिए रिजर्व बैंक अरबों डॉलर खर्च करने से भी पीछे नहीं हटेगा. रिपोर्ट्स की मानें तो सेंट्रल बैंक रुपये को बचाने के लिए अपने कुल विदेशी मुद्रा भंडार का छठवां हिस्सा खर्च करने को तैयार है. इसका मतलब हुआ कि रुपये की तेज गिरावट की स्थिति में रिजर्व बैंक बाजार में करीब 100 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा झोंक सकता है, जिससे इसे रुपये को गिरने से रोका जा सके.
बता दें कि भारतीय मुद्रा ‘रूपया’ के लिए ये सबसे बुरा दौर चल रहा है. रुपये की वैल्यू पिछले कुछ समय से तेज़ी से कम हुई है. वहीं इस सप्ताह मंगलवार को शेयर बाजारों में गिरावट के बीच रुपये ने गिरने का नया रिकॉर्ड बना दिया था. रिजर्व बैंक की हालिया कोशिश के बाद भी रूपया डॉलर के मुकाबले पहली बार 80 से भी नीचे गिर गया है. हालांकि बाद में यह कुछ सुधरा, लेकिन अभी भी डॉलर के मुकाबले रूपया 80 के साइकोलॉजिकल लेवल के आस-पास ही ट्रेड कर रहा है.
रिजर्व बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार के देखें तो यह पिछले साल सितंबर की शुरुआत में 642.450 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था लेकिन इसके बाद से रिजर्व बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार अब तक 60 बिलियन डॉलर से ज्यादा कम हो चुका है. हालांकि इस गिरावट के बाद भी आरबीआई दुनिया में पांचवां सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार वाला सेंट्रल बैंक है और ऐसे में रिपोर्ट्स की मानें तो, आरबीआई के फॉरेक्स रिजर्व में आई गिरावट का एक कारण वैल्यूएशन में आया बदलाव तो है ही, लेकिन रुपये को बचाने के लिए डॉलर बेचकर किया गया दखल भी इस गिरावट के लिए जिम्मेदार है.
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