यह एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है, जहां विक्रेता सीधे ग्राहकों को अपना सामान बेच सकते हैं. इसके जरिए छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के लाखों विक्रेता आर्थिक रूप से सशक्त हुए हैं.
नई दिल्ली: देश में अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रभुत्व को कम करने के लिए भारत सरकार ने ONDC के रूप में एक नई पहल शुरू की है. इसका पूरा नाम ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स है. यह एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है, जहां विक्रेता सीधे ग्राहकों को अपना सामान बेच सकते हैं. इसके जरिए छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के लाखों विक्रेता आर्थिक रूप से सशक्त हुए हैं. अब इस प्लेटफॉर्म पर 250 रुपये से अधिक के लेनदेन पर 1.20 रुपये तक का शुल्क देना पड़ सकता है. इससे एकत्र राजस्व का उपयोग उद्योग की नई जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
अक्टूबर के त्योहारी सीजन में ओएनडीसी के प्लेटफॉर्म पर 14 लाख तक लेनदेन दर्ज किए गए, जबकि एक महीने पहले सितंबर में 12.9 लाख लेनदेन हुए थे, जो इस एक महीने में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. अब ऑनलाइन खरीद-बिक्री के इस सरकारी प्लेटफॉर्म पर हर दिन औसतन 5 लाख रुपये तक की खरीदारी हो रही है.प्लेटफॉर्म पर हर दिन 90,000 रुपये तक के खाद्य पदार्थ बेचे जा रहे हैं, जबकि ब्यूटी और पर्सनल केयर सेगमेंट में हर दिन लगभग 10,000 रुपये का लेनदेन हो रहा है. इसी तरह फैशन और किचन सेगमेंट में रोजाना क्रमश: 40,000 और 20-30,000 रुपये का लेनदेन हो रहा है.
ONDC पर विक्रेताओं की संख्या भी बढ़ रही है, जो 160 की संख्या को पार कर गई है. इनमें PayTM, Snapdeal, More, PinCode और मैजिकपिन जैसे कई खुदरा विक्रेता शामिल हैं. फिलहाल ओएनडीसी पर शॉपिंग के लिए 70 से ज्यादा ऐप मौजूद हैं, जिनमें से 40 ऐप ऐसे हैं जिनके जरिए रोजाना खरीदारी की जा रही है.
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