नई दिल्ली: अगले साल एक अप्रैल (2006) से लागू होने वाले नए कानून से आयकर विभाग को कई शक्तियां मिल जाएंगी। आयकर अधिकारी केवल संदेह होने पर किसी के भी सोशल मीडिया अकाउंट, ईमेल और ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट खाते की पूरी जानकारी निकाल सकेंगे। विभाग को इन डिजिटल खातों का पासवर्ड क्रैक करने का कानूनी अधिकार मिल जाएगा।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यदि विभाग को आपके पास अघोषित आय, आभूषण और मूल्यवान प्रॉपर्टी होने की आशंका हो, तो वह नए कानूनी अधिकार का इस्तेमाल कर सकेगा। आयकर अधिनियम 1961 में अधिकारियों के पास ऐसा स्पष्ट अधिकार नहीं था।
मौजूदा कानून में संदेह होने पर विभाग हिसाब-किताब और बैंक खातों की पड़ताल करके संपत्ति जब्त कर सकता है। नए कानून में मौजूदा अधिकारों के साथ कंप्यूटर प्यूटर सिस्टम या वर्चुअल डिजिटल स्पेस में छिपाई जानकारी भी शामिल है। नए आयकर बिल की धारा 247 के तहत अधिकारी किसी भी दरवाजे, संदूक, लॉकर, अलमारी का ताला तोड़ सकेंगे। अगर इनमें से कोई लॉक का कोड कंप्यूटर सिस्टम या वर्चुअल डिजिटल स्पेस में है तो अधिकारी वहां भी दाखिल होकर कोड हासिल कर सकते हैं।
किसी के डिजिटल स्पेस में एंटर होने का अधिकार मिलने से इसकी संवैधानिक वैधता को लेकर गंभीर सवाल खड़े होंगे। सरकार यह कहकर इसका बचाव कर सकती है कि यह टैक्स चोरी रोकने का उपाय है। इसके बावजूद इस कानून के अनावश्यक सरकारी निगरानी का माध्यम बनने की आशंका है।
ईमेल सर्विस, सोशल मीडिया अकाउंट, ऑनलाइन ट्रेडिंग व इन्वेस्टमेंट अकाउंट, बैंक अकाउंट, कोई वेबसाइट जहां जानकारी छिपाई हो, रिमोट सर्वर, क्लाउड सर्वर, डिजिटल एप्लीकेशन प्लेटफार्म और ऐसे अन्य स्पेस। इन्हें एक्सेस करने का अधिकार विभाग के ज्वाइंट डॉयरेक्टर या एडिशनल डॉयरेक्टर, ज्वाइंट कमिश्नर या एडिशनल कमिश्नर तथा आयकर अधिकारी या कर वसूली अधिकारी को होगा।
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