नई दिल्ली। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल एक बार फिर विवादों में है। बता दें, कई मीडिया रिपोर्ट्स में केजरीवाल पर अपने सरकारी आवास को सजाने के लिए ही 45 करोड़ रुपए खर्च करने का आरोप लगा है। इसके बाद भाजपा समेत कांग्रेस ने आप पार्टी के संयोजक केजरीवाल को घेरना शुरु कर दिया है। इसके अलावा भाजपा ने केजरीवाल से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा भी मांगा है।
इस दौरान कुछ दस्तावेज भारतीय जनता पार्टी द्वारा जारी किए गए है। जिसमें केजरीवाल पर अपने सरकारी आवास को चमकाने के लिए 45 करोड़ रुपए खर्च करने का दावा किया गया है। बता दें, इस दौरान केजरीवाल ने अपने बंगले के लिए लाखों रुपए के पर्दे और करोड़ों रुपए के विदेशी टाइल्स लगाए हैं। दस्तावेजों के मुताबिक केजरीवाल ने 11.30 करोड़ रुपए इंटीरियर डिजाइनिंग, 6.02 करोड़ रुपए पत्थर और मार्बल, 1 करोड़ रुपए इंटीरियर कंसल्टेंसी, 2.58 करोड़ रुपए बिजली फिटिंग, 1.41 करोड़ रुपए वार्डरोब और एक्स्ट्रा लगने वाले एसेसरीज फिटिंग, 1.1 करोड़ रुपए किचन उपकरणों और 2.85 करोड़ रुपए आग बुझाने के इंतजामों पर खर्च किए गए है।
इसके अलावा केजरीवाल पर पीडब्लूडी के दस्तावेजों के आधार पर आरोप लगे है कि उन्होंने सरकारी खजाने में से स्वीकृत किए गए 43.70 करोड़ रुपए की सारी राशि का इस्तेमाल केवल सिविल लाइंस में स्थित 6 बंगलों में खर्च किए है।
मामले को लेकर आप के नेता और सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि इससे पहले मुख्यमंत्री आवास का काम 75 से 80 साल पहले यानि 1942 में कराया गया था । उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग ने ऑडिट के बाद इसकी मरम्मत करने की सिफारिश की थी। इसके बाद ही ये काम कराया गया है।
वहीं आप नेता संजय सिंह ने कहा कि, अडानी समेत अन्य मुद्दों को भटकाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को कल से निशाना बनाया जा रहा है। संजय सिंह ने कहा कि केजरीवाल के बंगले में जहां उनके माता-पिता और केजरीवाल खुद जिस कमरे में रहते थे, उसकी छत गिर गई थी। जिसके बाद पीडब्लूडी के अधिकारियों ने इस बंगले को तोड़कर नया बंगला बनाने का सुझाव दिया था। इसके बाद ही ये बंगला तैयार किया गया।
इसके अलावा इस पूरे घर को बनाने की लागत केवल 30 करोड़ रुपए थी। वहीं संजय सिंह ने एलजी के बंगले की मरम्मत को लेकर खर्च किए गए 15 करोड़ रुपए की बात उठाई उनका कहना था कि केजरीवाल ने 30 करोड़ में पूरा घर बनाया है लेकिन एलजी ने अपने बंगले की मरम्मत कराने में ही 15 करोड़ रुपए खर्च कर दिए इसका जवाब कौन देगा।