waqf law: वक्फ कानून को लेकर दायर 73 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को दूसरे दिन सुनवाई हुई. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन का समय दिया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वक्फ संपत्तियों की मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा. सीजेआई ने कहा ‘जैसा था वैसा ही रहेगा.’ इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी.
सीजेआई संजीव खन्ना ने निर्देश दिया कि सरकार 7 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करे. जबकि याचिकाकर्ताओं को अगले 5 दिनों में प्रतिउत्तर देना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि अगली सुनवाई में केवल 5 याचिकाकर्ता ही कोर्ट में उपस्थित होंगे. ‘हम यहां केवल 5 ही चाहते हैं. अन्य को या तो आवेदन के रूप में माना जाएगा या निपटाया जाएगा. सीजेआई ने स्पष्ट किया.
#WATCH दिल्ली: वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर एडवोकेट बरुण कुमार सिन्हा ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहीं लगाई है। भारत के सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि नए संशोधन अधिनियम के तहत परिषद या बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि… pic.twitter.com/8yxsLXVJoo
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 17, 2025
सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड या परिषदों में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी. उन्होंने कहा ‘प्रतिवादी सरकार 7 दिनों के भीतर संक्षिप्त जवाब दाखिल करेगी. अधिसूचना या राजपत्र के जरिए वक्फ संपत्तियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा’. मेहता ने जोर देकर कहा कि सरकार एक्ट के प्रावधानों को तत्काल प्रभावी नहीं करेगी.
इससे पहले बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्रीय वक्फ परिषदों और बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने पर नाराजगी जताई थी. कोर्ट ने केंद्र से सवाल किया था कि क्या वह हिंदू धार्मिक न्यासों में मुसलमानों को शामिल करने के लिए तैयार है.
गुरुवार की सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा ‘यह एक जटिल मामला है. कृपया मुझे प्रारंभिक जवाब और दस्तावेज दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दें.’ सीजेआई ने जवाब में कहा ‘हम पूर्ण रोक नहीं लगा रहे लेकिन हम यह भी नहीं चाहते कि मौजूदा स्थिति में बदलाव हो. हम एक्ट पर रोक नहीं लगा रहे बल्कि स्थिति को यथावत रखना चाहते हैं.’
मेहता ने कोर्ट से आग्रह किया कि कुछ धाराओं पर प्रथम दृष्टया रोक लगाना उचित नहीं होगा. उन्होंने कहा ‘निजी संपत्तियां और गांव के गांव वक्फ संपत्तियां बन गए हैं. इसलिए यह कानून लाया गया. संसद और सरकार जनता के प्रति जवाबदेह हैं.’
सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा ‘वक्फ बोर्ड बनाने पर स्टे लगाया गया है. मैं जेपीसी का सदस्य था और मैंने इस बिल का विरोध किया था. यह एक्ट हमारे अधिकारों पर चोट है और संविधान के खिलाफ है. हम इसका विरोध जारी रखेंगे.’
#WATCH सुप्रीम कोर्ट में वक्फ एक्ट की सुनवाई पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “हम इस एक्ट को असंवैधानिक मानते हैं। कोर्ट ने कहा है कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल और स्टेट वक्फ काउंसिल का गठन नहीं किया जाएगा और ‘वक्फ बाय यूजर’ को हटाया नहीं जा सकता। जेपीसी की चर्चा के दौरान मैंने… pic.twitter.com/bXOJ7UXtcI
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मामले की सुनवाई सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने की. केंद्र की ओर से तुषार मेहता ने जबकि याचिकाकर्ताओं और मुस्लिम संगठनों की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक सिंघवी और सी.यू. सिंह ने दलीलें पेश कीं.
सुप्रीम कोर्ट का यह अंतरिम आदेश वक्फ कानून के विवादास्पद प्रावधानों पर गहन बहस की ओर इशारा करता है. अगली सुनवाई में सरकार के जवाब और याचिकाकर्ताओं के प्रतिउत्तर से मामले की दिशा स्पष्ट होगी. तब तक वक्फ संपत्तियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा.
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