Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने भारत को एक बार फिर आगाह किया है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ अब रक्षात्मक रुख काफी नहीं है. इस हमले में जिसमें 28 लोग मारे गए. जिसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने अपनी ख्यात ‘डिफेंसिव ऑफेंस’ रणनीति को और तेज करने का संकेत दिया है. सूत्रों के अनुसार डोभाल का नया गेम प्लान सर्जिकल स्ट्राइक या एयरस्ट्राइक से कहीं बड़ा और प्रभावी है. जो पाकिस्तान की आंतरिक कमजोरियों को निशाना बनाएगा.
अजीत डोभाल ने 2014 में शास्त्र विश्वविद्यालय में नानी पालखीवाला स्मृति व्याख्यान के दौरान ‘डिफेंसिव ऑफेंस’ रणनीति को विस्तार से समझाया था. उन्होंने कहा था. ‘अगर पाकिस्तान एक और मुंबई हमला करता है तो उसे बलूचिस्तान खोने के लिए तैयार रहना चाहिए.’ उनका तर्क था कि भारत अब तक रक्षात्मक (डिफेंसिव) रुख अपनाता रहा है. जिसमें वह केवल पाकिस्तान की हरकतों का जवाब देता है. यह रणनीति भारत को नुकसान पहुंचाती है. क्योंकि आतंकी हमेशा रक्षा तंत्र को भेदने का रास्ता ढूंढ लेते हैं.
डोभाल की ‘डिफेंसिव ऑफेंस’ रणनीति में पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क को नष्ट करने, उनकी फंडिंग रोकने और उनकी कमजोरियों जैसे बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और आर्थिक संकट का उपयोग करने पर जोर है. इसमें पारंपरिक युद्ध या परमाणु जोखिम के बिना लक्षित कार्रवाइयों के जरिए पाकिस्तान को बैकफुट पर लाना शामिल है.
पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली. जिसके तार लश्कर-ए-ताइबा और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े हैं. खुफिया सूत्रों के अनुसार हमले में शामिल सात आतंकी दो हफ्ते पहले पीर पंजाल रूट से पाकिस्तान से घुसे थे. डोभाल अब इन आतंकी नेटवर्क को अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) पर बेनकाब करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.
पाकिस्तान इस समय आंतरिक और बाहरी मोर्चों पर कमजोर है. बलूचिस्तान में बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) जैसे संगठन सक्रिय हैं. खैबर पख्तूनख्वा में सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं और आर्थिक संकट ने जनता में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ गुस्सा बढ़ा दिया है. डोभाल का प्लान इन कमजोरियों को भुनाने का है ताकि पाकिस्तान को अपनी ही जमीन पर जवाब देना पड़े. इसके अलावा अफगानिस्तान के जरिए पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने की रणनीति भी शामिल है क्योंकि भारत का वहां प्रभाव मजबूत है.
पहलगाम हमले के बाद अमेरिका, रूस, इजरायल और अन्य देशों ने भारत के साथ एकजुटता जताई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा ‘आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में हम साथ हैं.’ यहां तक कि पाकिस्तान का पारंपरिक सहयोगी चीन भी भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश में है. यह स्थिति भारत को वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने का सुनहरा अवसर देती है.
डोभाल की रणनीति में आतंकी फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए FATF जैसे संगठनों के साथ मिलकर काम करना शामिल है. उन्होंने पहले भी NIA की आतंकी फंडिंग जांच को ‘सही दिशा में दबाव’ डालने वाला कदम बताया था. अब इस रणनीति को और तेज करने की योजना है.
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