भारत-यूएस व्यापार तनाव और रूस से ऊर्जा आयात पर विवाद
हाल ही में भारत-यूएस के बीच व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि जो देश रूस से तेल आयात कर रहे हैं, वे भारत के इस कदम पर आपत्ति जता रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत को अपनी राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए ही यह निर्णय लेना होगा कि किस देश से आयात करना है। नायडू ने यह भी कहा कि भारत रूस से तेल खरीदने के मामले में किसी भी तरह की धमकियों के आगे झुकेगा नहीं।
इसी बीच, भारत के अमेरिका में राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम से बातचीत की, जिसमें उन्होंने ऊर्जा सुरक्षा और भारत-अमेरिका ऊर्जा व्यापार को बढ़ाने पर चर्चा की। ग्राहम ने भी भारत से आग्रह किया है कि वह रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को समाप्त कराने में मदद करे। उन्होंने कहा कि भारत यूएस के साथ संबंधों को सुधारने के लिए इस दिशा में पहल कर सकता है।
वहीं, अमेरिका ने भारत पर स्टील, एल्यूमिनियम और उनके डेरिवेटिव्स पर 50 प्रतिशत तक के कड़े टैरिफ लगाए हैं। यह कदम जून में लिया गया था, जो भारत के रूस से व्यापार करने पर लगाए गए दंड स्वरूप है। भारत इस कड़े टैरिफ को “अन्यायपूर्ण और अनुचित” करार देता है और इसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है। अगर भारत ऐसा करता है, तो यह पहली बार होगा जब वह अमेरिका की इस कड़ी नीति का जवाब देगा।
इस बीच, अमेरिकी पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने इस टैरिफ को “बड़ी गलती” कहा है। उनका मानना है कि अमेरिका का यह कदम भारत को रूस और चीन के करीब ला सकता है, जो अमेरिकी हितों के खिलाफ हो सकता है। अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफ्री सैक्स ने भी कहा है कि भारत के लिए चीन के खिलाफ क्वाड जैसे गठजोड़ में अमेरिका के साथ खड़ा होना सुरक्षा दृष्टि से फायदेमंद नहीं है। उन्होंने ट्रम्प की टैरिफ नीति को असंवैधानिक भी बताया।
अमेरिका ने भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए हैं, जिसमें से पहले 25 प्रतिशत अगस्त 7 से लागू हो चुके हैं और बाकी 25 प्रतिशत अगस्त 27 से लागू होंगे। ये टैरिफ रूस से तेल खरीदने पर लगाए गए हैं, ताकि रूस को युद्ध समाप्ति के लिए दबाव में लाया जा सके। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 15 अगस्त को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अलास्का में मुलाकात करेंगे, जिसके बाद अमेरिका-रूस के बीच शांति वार्ता की उम्मीद जताई जा रही है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में रूस के राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बातचीत की और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इस पूरे विवाद के बीच भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के लिए निर्णय करेगा और किसी भी दबाव में नहीं आएगा।
यह मामला आगामी दिनों में भी जारी रहेगा और हम आपको इस लाइव ब्लॉग में समय-समय पर अपडेट देते रहेंगे।